हिंदी के प्रसिद्ध लेखकों द्वारा रचित
पारिवारिक समस्याओं पर आधारित कहानियों का नाट्य रूपांतरण विद्यालय ने शुक्रवार, 2 मई और शनिवार, 3 मई,
2025 को चार नाटकों
का मंचन किया। संवेदनशील व मार्मिक विषयों पर आधारित ये एकांकी दर्शकों को जीवन की
वास्तविकता से आत्मसात करने में सफल रहे। कार्यक्रम के पहले दिन चित्तौड़गढ़ सदन
ने "वापसी" और कुंभलगढ़ सदन ने "दृष्टिदान" नाटक प्रस्तुत
किया। इसी तरह,
दूसरे दिन रणथंभौर सदन ने "आज का
सच" और मेहरानगढ़ सदन ने "सौत" प्रस्तुत किया। निर्णायक, श्री उमेश चौरसिया, प्रो. शमा खान और श्रीमती माधवी स्टीफन ने
सूचना अधिभार के युग में छात्रों के बीच रंगमंच की कला को जीवित और लोकप्रिय बनाए
रखने के लिए विद्यालय की सराहना की। रंगमंच के प्रति अपने प्रेम और इसकी क्षणभंगुर
प्रकृति के बारे में बात करते हुए, प्रिंसिपल श्री संजय खाती ने कहा कि रंगमंच एक जीवंत और सांस लेने वाली कला है
जो कलाकार की उपस्थिति और दर्शकों की तात्कालिकता पर पनपती है। यह केवल प्रदर्शन
के क्षण में ही मौजूद रहता है और फिर लुप्त हो जाता है।
संयोजक, श्रीमती शालिनी अग्रवाल ने परिणामों की घोषणा की जिसमें रणथंभौर सदन विजेता के
रूप में उभरा,
उसके बाद कुंभलगढ़ और चित्तौड़गढ़ सदन क्रमशः
दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे।